इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) एक फॉर्म है, जिसे भारत के हर टैक्सपेयर को हर साल इनकम टैक्स डिपार्टमेंट में जमा करना होता है। इसमें आपकी आय, खर्च, कटौतियों और चुकाए गए टैक्स की जानकारी होती है। ITR फाइल करना जरूरी है, क्योंकि इससे सरकार यह जांच करती है कि आपने सही टैक्स चुकाया है या नहीं। अगर आपने ज्यादा टैक्स चुकाया है, तो आपको रिफंड मिल सकता है। ITR आय का सबूत भी होता है, जिसकी जरूरत लोन, वीजा आवेदन और वित्तीय लेन-देन के लिए होती है।
भारत में ITR फॉर्म के प्रकार
ITR-1
ITR-1 उन लोगों के लिए है, जिनकी आय सैलरी, पेंशन या एक घर की संपत्ति से होती है। इसमें बैंक ब्याज जैसे अन्य स्रोतों से होने वाली आय भी शामिल है। कुल आय 50 लाख रुपये से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। यह भरने में सबसे आसान फॉर्म है और इसका इस्तेमाल ज्यादातर नौकरी करने वाले कर्मचारी और पेंशनर करते हैं।
ITR-2
ITR-2 उन लोगों और हिंदू अविभाजित परिवारों (HUF) के लिए है, जिनकी बिजनेस या पेशे से कोई आय नहीं होती है। इसका इस्तेमाल तब किया जा सकता है, जब आपकी आय सैलरी, पेंशन, एक से ज्यादा घर की संपत्ति, पूंजीगत लाभ (जैसे संपत्ति या शेयर बेचने से हुई कमाई) या विदेशी आय/संपत्ति से होती है। अनिवासी भारतीय (NRI) भी ITR-2 फाइल करते हैं, अगर भारत में उनकी कोई कर-योग्य आय है।
ITR-3
ITR-3 उन लोगों और HUF के लिए है, जिनकी बिजनेस या पेशे से आय होती है। इसमें डॉक्टर, वकील, फ्रीलांसर जैसे स्व-नियोजित पेशेवर और बिजनेस के मालिक शामिल हैं। इसमें सैलरी, घर की संपत्ति और पूंजीगत लाभ से होने वाली आय भी शामिल होती है। ITR-3 भरने वाले लोगों को लाभ-हानि का विवरण या बैलेंस शीट बनाए रखने की जरूरत पड़ सकती है।
ITR-4
ITR-4 उन लोगों के लिए है, जो धारा 44AD, 44ADA या 44AE के तहत अनुमानित कराधान (presumptive taxation) का विकल्प चुनते हैं। यह उन लोगों, HUF और पार्टनरशिप फर्मों (LLP नहीं) के लिए है, जिनकी आय 50 लाख रुपये तक है। इस योजना के तहत, आय की गणना एक तय दर पर की जाती है और इसके लिए खातों का विस्तृत ब्योरा रखने की जरूरत नहीं होती है। छोटे व्यापारी, दुकानदार, पेशेवर और ट्रांसपोर्ट का बिजनेस करने वाले लोग अक्सर इस फॉर्म का इस्तेमाल करते हैं।
ITR-5
ITR-5 पार्टनरशिप फर्मों, LLP, AOP, BOI, बिजनेस ट्रस्ट और सहकारी समितियों के लिए है। यह व्यक्तियों या HUF के लिए नहीं है। इस फॉर्म का इस्तेमाल गैर-कॉरपोरेट संस्थाओं की आय, कटौतियों और टैक्स देनदारी की जानकारी देने के लिए किया जाता है।
ITR-6
ITR-6 उन कंपनियों के लिए है, जो धारा 11 के तहत धर्मार्थ या धार्मिक उद्देश्यों के लिए छूट का दावा नहीं करती हैं। कंपनियों को यह फॉर्म ऑनलाइन फाइल करना होता है, जिसमें आय, कटौतियां, बिजनेस के खर्च और ऑडिट की जानकारी देनी होती है। इसका इस्तेमाल मुख्य रूप से मुनाफा कमाने वाली कंपनियां करती हैं।
ITR-7
ITR-7 उन संस्थाओं के लिए है, जिन्हें धारा 139(4A), 139(4B), 139(4C) या 139(4D) के तहत रिटर्न फाइल करना जरूरी होता है। इनमें धर्मार्थ ट्रस्ट, राजनीतिक दल, वैज्ञानिक अनुसंधान संस्थान, विश्वविद्यालय और कॉलेज शामिल हैं। इन संस्थाओं को अक्सर टैक्स से छूट मिलती है, लेकिन पारदर्शिता के लिए उन्हें अपनी आय और खर्चों की जानकारी देना अनिवार्य होता है।
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