सुप्रीम कोर्ट के एक सम्मानित पूर्व जज, जस्टिस बी. सुदर्शन रेड्डी को INDIA गठबंधन ने उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया है। वे अपने प्रगतिशील फैसलों और ईमानदारी के लिए जाने जाते हैं। रिटायर होने के बाद उन्होंने गोवा के पहले लोकायुक्त के रूप में भी काम किया था। उनका नामांकन आगामी चुनाव में संवैधानिक मूल्यों और न्यायिक स्वतंत्रता पर जोर देने को दिखाता है।
जस्टिस बी. सुदर्शन रेड्डी भारत की कानूनी विरासत के एक स्तंभ हैं। न्याय, संविधान और सामाजिक समानता के प्रति उनके अटूट समर्पण के लिए उनका बहुत सम्मान किया जाता है। आंध्र प्रदेश के एक गांव से निकलकर कानूनी क्षेत्र के शिखर तक की उनकी प्रेरणादायक यात्रा, उनके समर्पण, बुद्धिमत्ता और नैतिक नेतृत्व का प्रमाण है।
अगस्त 2025 में, वे एक बार फिर राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में आए, जब INDIA गठबंधन ने उन्हें अपने उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया। यह नामांकन न केवल उनकी शानदार सेवा, बल्कि उनकी ईमानदारी और प्रगतिशील सोच को भी एक सम्मान है।
शुरुआती जीवन और शिक्षा
सुदर्शन रेड्डी का जन्म 8 जुलाई, 1946 को रंगारेड्डी जिले (तत्कालीन आंध्र प्रदेश) के अकुला मायलारम गांव में हुआ था। वे एक किसान परिवार से थे और उनका पालन-पोषण कड़ी मेहनत और ईमानदारी जैसे मजबूत मूल्यों के साथ हुआ। उनकी शुरुआती शिक्षा हैदराबाद में हुई, जहां से उन्होंने 1971 में उस्मानिया विश्वविद्यालय से कानून में ग्रेजुएशन किया। यहीं से उनके शानदार कानूनी करियर की नींव पड़ी।
कानूनी करियर: वकील से लेकर सुप्रीम कोर्ट के जज तक
ग्रेजुएशन के बाद, रेड्डी ने आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट में नागरिक और संवैधानिक मामलों पर वकालत शुरू की। उन्होंने के. प्रताप रेड्डी के मार्गदर्शन में एक अच्छा नाम कमाया। सालों की मेहनत से उनकी कानूनी समझ बहुत तेज हो गई। उन्होंने 1988 में सरकारी वकील (Government Pleader) के रूप में काम किया और कुछ खास मामलों में केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए।
उनके करियर की मुख्य बातें:
अध्यक्ष, आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट एडवोकेट्स एसोसिएशन (1993)
कानूनी सलाहकार, उस्मानिया विश्वविद्यालय
अतिरिक्त जज, आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट (1993)
मुख्य न्यायाधीश, गुवाहाटी हाई कोर्ट (2005)
जज, सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया (2007–2011)
जस्टिस रेड्डी का सम्मान सिर्फ उनकी कानूनी समझ के लिए ही नहीं होता था, बल्कि वे गरीबों के हिमायती के रूप में भी जाने जाते थे। उन्होंने सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय को बढ़ावा देने वाले अपने फैसलों से इतिहास रचा। वे संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करने और गरीबों को ताकत देने वाले फैसले सुनाने के लिए जाने जाते थे।
उपलब्धियां और योगदान
गोवा के पहले लोकायुक्त: 2011 में सुप्रीम कोर्ट से रिटायर होने के बाद, जस्टिस रेड्डी को 2013 में गोवा का पहला लोकायुक्त (भ्रष्टाचार विरोधी संस्था) नियुक्त किया गया। हालांकि उनका कार्यकाल छोटा था, लेकिन उनकी नियुक्ति ने शासन में पारदर्शिता की एक मिसाल कायम की।
न्याय के लिए एक मजबूत आवाज: सुदर्शन रेड्डी को उनके पूरे करियर में जटिल और संवेदनशील मामलों को निपटाने में उनके प्रगतिशील रुख और साहस के लिए जाना जाता है।
एक गुरु और मार्गदर्शक: उनका प्रभाव सिर्फ अदालत तक ही सीमित नहीं था। उन्होंने अपने भाषणों, वकालत और नैतिक आचरण से युवा वकीलों की कई पीढ़ियों को प्रेरित किया।
INDIA गुट के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार
विपक्षी गठबंधन INDIA ने 19 अगस्त, 2025 को होने वाले उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए जस्टिस बी. सुदर्शन रेड्डी को अपना उम्मीदवार बनाया है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इसकी घोषणा करते हुए इसे "विचारधारा की लड़ाई" बताया। गठबंधन ने जस्टिस रेड्डी के प्रगतिशील इतिहास, न्यायपालिका में उनकी स्वतंत्रता और संवैधानिक व मौलिक अधिकारों के लिए उनके जीवन भर के संघर्ष की प्रशंसा की।
इस नामांकन के बाद उनका मुकाबला NDA के उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन से होगा। अब यह मुकाबला राजनीतिक समीकरणों के साथ-साथ मूल्यों और विरासत की लड़ाई भी बन गया है। जस्टिस रेड्डी का चयन उनके जीवन भर के काम और कानूनी व राजनीतिक जगत में उनके प्रति गहरे सम्मान का प्रमाण है।
जस्टिस बी. सुदर्शन रेड्डी का जीवन और उनकी सेवाएं भारतीय न्यायपालिका के सर्वोत्तम मूल्यों को दर्शाती हैं। इन मूल्यों में ईमानदारी, करुणा और संवैधानिक आदर्शों के प्रति गहरी प्रतिबद्धता शामिल है। अब जब वे एक बार फिर राष्ट्रीय मंच पर आए हैं, इस बार उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में, तो उनकी भूमिका एक नई उम्मीद जगाती है। एक प्रगतिशील जज और कमजोर लोगों के रक्षक के रूप में उनका व्यक्तित्व, न्याय और निष्पक्षता चाहने वाले देश के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उनका जीवन एक मिसाल है, जो यह दिखाता है कि कैसे एक मजबूत नेतृत्व और निरंतर सेवा किसी देश की किस्मत को बदल सकती है।
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