दुनिया की किस भाषा में नहीं है वर्णमाला, जानें नाम

Dec 5, 2025, 16:12 IST

अंग्रेजी या हिंदी के विपरीत, चीनी और जापानी भाषाओं में वर्णमाला (alphabet) का उपयोग नहीं होती है। चीनी भाषा में अर्थ बताने वाले लोगोग्राफिक अक्षरों का इस्तेमाल होता है। वहीं, जापानी भाषा में तीन लिपियों का मिश्रण है— कांजी, हिरागाना और काताकाना। आइए जानें कि ये दिलचस्प लेखन प्रणालियां कैसे विकसित हुईं, इनकी बनावट कैसी है और ये दुनिया भर की वर्णमाला-आधारित भाषाओं से कैसे अलग हैं।

बिना वर्णमाला वाली भाषा
बिना वर्णमाला वाली भाषा

क्या आपने कभी सोचा है कि कुछ भाषाएं बिना वर्णमाला के कैसे काम करती हैं? हममें से ज्यादातर लोग A से Z जैसे अक्षरों का उपयोग करके पढ़ते हैं, लेकिन चीनी और जापानी भाषाएं पूरी तरह से एक अलग प्रणाली का पालन करती हैं। ध्वनियों की स्पेलिंग लिखने के बजाय, उनके प्रतीक (symbol) अर्थ और विचार व्यक्त करते हैं। जब हम लिखने की बात करते हैं, तो ज्यादातर लोगों के मन में वर्णमाला की तस्वीर उभरती है। यह अक्षरों का एक छोटा समूह होता है, जिसमें हर अक्षर एक खास ध्वनि को दर्शाता है। अंग्रेजी 26 अक्षरों में लिखी जाती है, हिंदी देवनागरी लिपि में लिखी जाती है और अरबी की अपनी लिपि है।

इन भाषाओं को धाराप्रवाह पढ़ने के लिए अक्षरों को पहचानने, उन्हें जोड़कर शब्द बनाने और उनका सही उच्चारण करने की क्षमता होनी चाहिए।

लेकिन, इसके ठीक विपरीत, मंदारिन चीनी और जापानी जैसी कुछ भाषाओं में कोई वर्णमाला नहीं होती है।

आइए जानें कि ये अनोखी लेखन प्रणालियां कैसे विकसित हुईं और आज भी ये संचार को कैसे आकार दे रही हैं।

चीनी भाषा: ध्वनियों को नहीं, बल्कि अर्थों को लिखना।

चीनी एक लोगोग्राफिक भाषा है। इसका मतलब है कि इसमें ध्वनि के बजाय किसी शब्द या विचार को दर्शाने के लिए प्रतीकों का उपयोग होता है, जिन्हें अक्षर (character) कहा जाता है। चीनी भाषा को धाराप्रवाह पढ़ने के लिए किसी व्यक्ति को लगभग 3,000 अक्षर समझने पड़ते हैं। हालांकि, कुल अक्षरों की संख्या लगभग 50,000 है।

चीनी भाषा के सबसे पुराने लेख हजारों साल पहले हड्डियों और कांसे की कलाकृतियों पर मिले थे। ये अक्षर शुरुआत में केवल चित्रलिपि (pictographs) थे, यानी ऐसी तस्वीरें, जो असल वस्तुओं या विचारों को दर्शाती थीं। समय के साथ ये जटिल प्रतीकों में बदल गए।

सभी अक्षर छोटी इकाइयों से बने होते हैं, जिन्हें रेडिकल्स (radicals) कहा जाता है। ये उनके अर्थ या उच्चारण का संकेत देते हैं। वर्णमाला वाली लिखावट के विपरीत, चीनी भाषा में शब्दों को अक्षरों के क्रम में नहीं लिखा जाता है। एक ही प्रतीक पूरे शब्द को दर्शाता है, जैसे 'बिल्ली' या 'पहाड़'।

चीनी भाषा सीखने के लिए कई अक्षरों को याद करने की जरूरत होती है। लेकिन, पढ़ने वाले इस प्रक्रिया को बहुत सार्थक और सुंदर मान सकते हैं।

जापानी भाषा: एक मिश्रित लेखन प्रणाली।

जापानी लेखन को भी चीनी के साथ जोड़कर देखा जाता है, क्योंकि इसमें भी कोई वास्तविक वर्णमाला नहीं है। हालांकि, यह इस मायने में अनोखी है कि इसमें तीन अलग-अलग लिपियों का समावेश है:

1.कांजी-ये चीनी मूल के अक्षर हैं, जो अर्थ दर्शाते हैं।

2.हिरागाना- यह एक शब्दांश-लिपि (syllabary) है, जिसमें हर प्रतीक एक शब्दांश (syllable) को दर्शाता है, जैसे 'का' या 'मो'।

3.काताकाना- यह एक और शब्दांश-लिपि है, जिसका उपयोग विदेशी शब्दों, नामों और ध्वन्यात्मक शब्दों (onomatopoeia) के लिए किया जाता है।

जापान में बच्चे पहले हिरागाना और काताकाना सीखते हैं और फिर स्कूल में कांजी सीखते हैं। ये लिपियां मिलकर भाषा को लहजा, संदर्भ और यहां तक कि भावनाओं को भी कई तरीकों से व्यक्त करने में मदद करती हैं।

दुनिया भर की अन्य लेखन प्रणालियां

हर भाषा को लिखने के लिए A-Z अक्षरों का इस्तेमाल नहीं होता है। दुनिया में कई दिलचस्प लेखन प्रणालियां हैं:

-लोगोग्राफिक प्रणालियां (जैसे चीनी): इसमें प्रतीक शब्दों या विचारों को दर्शाते हैं।

-शब्दांश-लिपियां (जैसे जापानी काना): इसमें प्रतीक पूरे शब्दांश को दर्शाते हैं।

-अब्जद (जैसे अरबी, हिब्रू): इसमें मुख्य रूप से व्यंजन होते हैं; स्वरों को अक्सर लिखा नहीं जाता।

-आबुगिदा (जैसे हिंदी के लिए देवनागरी, इथियोपिया में अम्हारिक्): इसमें व्यंजनों के आधार पर स्वरों के चिह्न लगाए जाते हैं।

कुछ अन्य भाषाओं का कोई लिखित रूप ही नहीं है। ये भाषाएं केवल मौखिक कहानी सुनाने और सांस्कृतिक स्मृति के कारण जीवित हैं।

निष्कर्ष

इंसानी संचार बहुत रचनात्मक है और इसका श्रेय अलग-अलग लेखन प्रणालियों को दिया जा सकता है। ध्वनि पर आधारित वर्णमाला लिपियों के विपरीत, लोगोग्राफिक और शब्दांश प्रणालियां पूरी तरह से अलग होती हैं। इनमें अर्थ और संस्कृति को बिल्कुल अलग तरीकों से व्यक्त किया जाता है। चाहे वह चीनी चित्रकला (calligraphy) की सुंदर रेखाएं हों या जापानी लेखन की मिश्रित लिपियां, हर एक की अपनी एक अलग कहानी है। यह कहानी बताती है कि इंसानियत ने विचारों, ध्वनियों और अर्थों को कैसे सहेजा है।

Kishan Kumar
Kishan Kumar

Senior content writer

A seasoned journalist with over 7 years of extensive experience across both print and digital media, skilled in crafting engaging and informative multimedia content for diverse audiences. His expertise lies in transforming complex ideas into clear, compelling narratives that resonate with readers across various platforms. At Jagran Josh, Kishan works as a Senior Content Writer (Multimedia Producer) in the GK section. He can be reached at Kishan.kumar@jagrannewmedia.com
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