भारत का सड़क नेटवर्क बहुत तेजी से बढ़ा है। यहां कई विश्वस्तरीय एक्सप्रेसवे बनाए गए हैं, जिनसे कनेक्टिविटी बेहतर हुई है और यात्रा का समय कम हुआ है। इनमें से छत्तीसगढ़ का दुर्ग बाईपास एक्सप्रेसवे भारत का सबसे छोटा एक्सप्रेसवे है, जिसकी लंबाई सिर्फ 18 किलोमीटर है।
अपनी कम लंबाई के बावजूद, यह दुर्ग, भिलाई और रायपुर के बीच ट्रैफिक को आसान बनाने में अहम भूमिका निभाता है। यह स्थानीय और अंतरराज्यीय आवाजाही के लिए बहुत जरूरी है।
भारत का सबसे छोटा एक्सप्रेसवे कौन-सा है?
दुर्ग बाईपास एक्सप्रेसवे की लंबाई सिर्फ 18 किलोमीटर है, जो इसे देश का सबसे छोटा एक्सप्रेसवे बनाता है। इसे राष्ट्रीय राजमार्ग 53 (NH-53) पर भीड़ कम करने के लिए बनाया गया था।
यह एक्सप्रेसवे महाराष्ट्र से ओडिशा और छत्तीसगढ़ की ओर जाने वाले वाहनों को शहर के ट्रैफिक से आसानी से बचाने में मदद करता है। इससे ट्रैफिक का फ्लो बेहतर होता है, प्रदूषण कम होता है और औद्योगिक परिवहन में भी मदद मिलती है।
दुर्ग बाईपास एक्सप्रेसवे का महत्त्व
भले ही इसकी लंबाई कम है, लेकिन यह एक्सप्रेसवे रणनीतिक रूप से बहुत महत्त्वपूर्ण है। यह दुर्ग, भिलाई और रायपुर जैसे बड़े औद्योगिक केंद्रों को जोड़ता है, जिससे सामानों की ढुलाई तेज होती है और यात्रा में होने वाली देरी कम होती है। यह बाईपास खास तौर पर भारी वाहनों के लिए जरूरी है, जो शहर के अंदर ट्रैफिक को धीमा कर देते हैं। इसी वजह से यह छत्तीसगढ़ के सबसे उपयोगी एक्सप्रेसवे में से एक है।
भारत के अन्य छोटे एक्सप्रेसवे
दुर्ग बाईपास एक्सप्रेसवे सबसे छोटा है, लेकिन भारत में कुछ और भी छोटे लेकिन महत्त्वपूर्ण एक्सप्रेसवे हैं:
-दिल्ली-गुड़गांव एक्सप्रेसवे (28 किमी): यह दिल्ली को गुरुग्राम से जोड़ता है। यह NH-48 का हिस्सा है और दिल्ली NCR के पास सबसे व्यस्त एक्सप्रेसवे में से एक है।
-जयपुर-किशनगढ़ एक्सप्रेसवे (90 किमी): यह राजस्थान में जयपुर को किशनगढ़ से जोड़ता है। यह उत्तर भारत के दो प्रमुख शहरों के बीच यात्रा को तेज बनाता है।
भारत के सबसे छोटे एक्सप्रेसवे के बारे में कुछ रोचक बातें
-दुर्ग बाईपास एक्सप्रेसवे छत्तीसगढ़ में स्थित है। यह दुर्ग शहर को भिलाई और रायपुर से जोड़ता है। अपनी जगह के कारण यह NH-53 और प्रमुख औद्योगिक क्षेत्रों के बीच एक महत्त्वपूर्ण कड़ी है।
-इसकी लंबाई सिर्फ 18 किलोमीटर है और इसे आधिकारिक तौर पर भारत का सबसे छोटा एक्सप्रेसवे माना जाता है। यह दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे (1,386 किमी) जैसे लंबे एक्सप्रेसवे की तुलना में इसे खास बनाता है।
-इसे मुख्य रूप से NH-53 पर ट्रैफिक कम करने और भारी वाहनों व औद्योगिक परिवहन को आसानी से रास्ता देने के लिए बनाया गया था। यह बाईपास दुर्ग और भिलाई में शहरी ट्रैफिक की भीड़ को भी कम करता है।
-यह एक्सप्रेसवे महाराष्ट्र, ओडिशा और छत्तीसगढ़ को जोड़ता है, जिससे शहरों के अंदर ट्रैफिक कम होता है। यह मध्य भारत में व्यापार, लॉजिस्टिक्स और औद्योगिक कनेक्टिविटी के लिए एक बहुत जरूरी मार्ग बन गया है।
-यह ट्रैफिक को शहर की सड़कों से हटाकर यात्रा के समय में 30 से 40 मिनट तक की बचत करता है। समय बचाने की यह खासियत इसे भारत के बढ़ते एक्सप्रेसवे नेटवर्क का एक कुशल हिस्सा बनाती है।
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