किस व्यक्ति को कहा जाता है ‘भारत का तोता’, जानें नाम

Nov 4, 2025, 16:40 IST

अमीर खुसरो (1253-1325) को उनकी बेहतरीन शायरी और कहानी सुनाने की कला के कारण "भारत का तोता" (तूती-ए-हिंद) का उपनाम मिला। उन्हें कव्वाली का जनक माना जाता है। उन्होंने फारसी शायरी को भारतीय संस्कृति के साथ मिलाया और हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत के विकास में बड़ा योगदान दिया। उन्होंने तबला और सितार को विकसित करने में भी मदद की।

भारत का तोता
भारत का तोता

जब भारत की साहित्यिक और कलात्मक विरासत की बात होती है, तो कुछ ही नाम अमीर खुसरो जितनी प्रमुखता से चमकते हैं, जिन्हें सम्मान के साथ "भारत का तोता" कहा जाता है। उन्हें यह उपनाम—तूती-ए-हिंद—उनकी काव्यात्मक प्रतिभा और मीठी बोली के कारण मिला था। उनकी तुलना बोलने वाले तोते से की गई, जो भारत-फारसी परंपरा में बुद्धिमानी और हाजिरजवाबी का प्रतीक है। खुसरो की विरासत आज भी सांस्कृतिक मेलजोल और कलात्मक प्रतिभा का प्रतीक है और यह भारत के काव्य और संगीत के विकास को प्रेरित करती है।

अमीर खुसरो को "भारत का तोता" क्यों कहा जाता है?

-अमीर खुसरो (1253-1325) एक फारसी कवि, संगीतकार और विद्वान थे, जिन्होंने फारसी, हिंदवी और पंजाबी में लिखा।

-भारत का तोता (तूती-ए-हिंद) नाम उन्हें दिल्ली के सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी ने दिया था। यह नाम खुसरो की बोलने की कला और कहानी सुनाने की महारत की प्रशंसा में दिया गया था।

-उनके छंद "होठों से बिखरते मोती" जैसे थे। उन्होंने भारतीय संस्कृति की आत्मा को पकड़ने और उसे बयां करने की अपनी क्षमता को दिखाने के लिए पक्षी की थीम का इस्तेमाल किया।

खुसरो का अनूठा योगदान

-"कव्वाली के जनक" के रूप में जाने जाने वाले खुसरो ने भक्तिपूर्ण सूफी संगीत की शुरुआत की और भारत में गजल की परंपरा को भी लोकप्रिय बनाया।

-उन्होंने कई तरह के छंदों—गजल, मसनवी, कता, रुबाई—में रचनाएं कीं और फारसी काव्य तकनीकों को भारतीय विषयों के साथ जोड़ा।

-खुसरो की रचनात्मकता सिर्फ शायरी तक सीमित नहीं थी। उन्होंने हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत के विकास को आकार दिया और तबला व सितार को डिजाइन करने में भी मदद की।

-सांस्कृतिक मेलजोल और विरासत

खुसरो का जन्म पटियाली (अब उत्तर प्रदेश) में हुआ था। उनके पिता तुर्क थे और मां भारतीय थीं। वह मध्य एशियाई और भारतीय संस्कृतियों के संगम का प्रतीक थे। भारत और यहां की भाषाओं से उनका गहरा लगाव उनके काम में साफ दिखता है, जिसमें फारसी शैली के साथ भारतीय भावनाएं मिलती हैं।

खुसरो की कविताएं, ज्ञान की बातें और संगीत के नए प्रयोग आज भी भारत और पाकिस्तान में कव्वाली और कविता समारोहों में जीवंत हैं।

खुसरो के बारे में रोचक तथ्य

-उनकी रचनाओं में सिर्फ कविता ही नहीं, बल्कि खालिक बारी जैसे शब्दकोश भी शामिल हैं। यह एक ऐसा शब्दकोश है, जिसमें अरबी, फारसी और हिंदवी शब्दों को कविता के रूप में मिलाया गया है।

-खुसरो सम्मानित सूफी संत निजामुद्दीन औलिया के आध्यात्मिक शिष्य थे और उन्हें दिल्ली में अपने गुरु के पास ही दफनाया गया है।

-सदियों बाद मुगल बादशाहों ने भी उनकी शायरी को महत्व दिया और उसे चित्रित करवाया। यह उनके स्थायी प्रभाव को दिखाता है।

अमीर खुसरो, "भारत के तोता", सिर्फ एक कवि नहीं थे, बल्कि उससे कहीं बढ़कर थे। वह एक सांस्कृतिक अनुवादक, संगीत में नई राह दिखाने वाले और उपमहाद्वीप की एक लोकप्रिय आवाज थे।

उनकी भाषाओं पर पकड़, कला की समझ और अलग-अलग संस्कृतियों को एक साथ लाने की क्षमता आज भी बहुत मायने रखती है। यह कला के मेलजोल का एक बड़ा उदाहरण है। उनका यह उपनाम आज भी उतना ही प्रभावशाली है। यह दिखाता है कि कैसे एक व्यक्ति की उपलब्धियां पूरी सभ्यता की विविधता को सम्मान दे सकती हैं और उसकी गूंज बन सकती हैं।

Kishan Kumar
Kishan Kumar

Senior content writer

A seasoned journalist with over 7 years of extensive experience across both print and digital media, skilled in crafting engaging and informative multimedia content for diverse audiences. His expertise lies in transforming complex ideas into clear, compelling narratives that resonate with readers across various platforms. At Jagran Josh, Kishan works as a Senior Content Writer (Multimedia Producer) in the GK section. He can be reached at Kishan.kumar@jagrannewmedia.com
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