दिवाली भारत का सबसे प्रमुख त्योहार है। हर्ष और उल्लास का यह पर्व पूरे 5 दिनों का पर्व है, जो कि धनतेरस से शुरू होकर भाई दूज तक चलता है। ऐसे में इन पांच दिनों में देशभर में दिवाली की धूम और रौनक देखते ही बनती है। उत्तर भारत में दिवाली को लेकर अधिक उत्साह देखने को मिलता है, जहां दिवाली की खुशियों में पटाखों का शोर भी शामिल होता है।
हालांकि, दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण को देखते हुए आम पटाखों पर प्रतिबंध रहता है। इस बार भी स्थिति कुछ इस प्रकार ही है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने Green Crackers को लेकर मंजूरी दे दी है। अब सवाल है कि आखिर यह हरे पटाखें क्या होते हैं और आम पटाखों से ये कितने अलग हैं, जानने के लिए यह पूरा लेख पढ़ें।
क्या होते हैं Green Crackers
सबसे पहले हम यह जान लेते हैं कि Green Crackers क्या होते हैं। आपको बता दें कि ये ईको-फ्रेंडली पटाखें होते हैं। इनका निर्माण नेशनल इनवायरोमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट(CSIR-NEERI) द्वारा किया गया है।
इन पटाखों को पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है, जिससे हवा में प्रदूषण कम हो। जलने पर ये पटाखें आम पटाखों की तरह ही आवाज करते हैं। इन पटाखों में जियोलाइट और आयरन ऑक्साइड को मिलाया जाता है, जो कि प्रदूषक तत्वों को नियंत्रित करते हैं। वहीं, इनमें कच्चा माल और राख रहित सामाग्री का भी इस्तेमाल किया जाता है।
आम पटाखें क्या होते हैं
आम पटाखें ग्रीन पटाखों की तुलना में अधिक प्रदूषण फैलाते हैं। क्योंकि, इनमें सीसा, बेरियम और एल्यूमिनियम के यौगिक इस्तेमाल होते हैं, जो कि हवा में घुलकर पर्यावरण और स्वास्थ्य, दोनों को नुकसान पहुंचाते हैं।
कितने प्रकार के होते हैं ग्रीन पटाखें
ग्रीन पटाखें कुल मिलाकर तीन प्रकार के होते हैंः
-SWAS (Safe Water and Air Releaser)
-इन पटाखों के जलने पर जलकण निकलते हैं, हालांकि ये बहुत ही बारीक होते हैं। इससे धूल के कण को सोखने में मदद मिलती है और हवा में कम प्रदूषण होता है।
-SAFAL (Safe Minimal Aluminium)
इनमें एक निश्चित मात्रा में ही एल्युमिनियम का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे शोर का स्तर कम होता है।
-STAR (Safe Thermite Cracker)-
इस प्रकार के पटाखों में सल्फर और पोटैशियम का इस्तेमाल नहीं होता है। इससे पटाखा जलने पर धुआं नहीं होता है, जिससे हवा में प्रदूषक तत्व नहीं घुलते हैं।
क्या ग्रीन कैकर्स से प्रदूषण होता है
आपके मन में सवाल होगा कि जब ग्रीन क्रैकर्स को इतना सोच-समझकर बनाया गया है, तो क्या इससे प्रदूषण होता है। इसका जवाब हां है। हालांकि, नीरी के मुताबिक, ग्रीन पटाखें अन्य आम पटाखों की तुलना में 30 फीसदी कम प्रदूषण फैलाते हैं। इस वजह से भी इन्हें ग्रीन पटाखें कहा गया है।
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