शिक्षा जीवन का वह भाग है, जो किसी भी व्यक्ति को आर्थिक और सामाजिक रूप से मजबूत बनाती है। एक अच्छी शिक्षा ही एक अच्छे सामाज की नींव मानी जाती है और शिक्षा की शुरुआत स्कूलों से होती है। ऐसे में हम कह सकते हैं कि स्कूलों के बिना शिक्षा की शुरुआत अधूरी है। भारत में बड़ी संख्या में स्कूल हैं, जहां करोड़ों बच्चे शिक्षा की बुनियाद से अपने शैक्षिक जीवन की शुरुआत करते हैं।
हालांकि, क्या आप जानते हैं कि भारत में एक जिला ऐसा भी है, जिसे स्कूलों की राजधानी भी कहा जाता है। कौन-सा है यह जिला, जानने के लिए यह लेख पढ़ें।
भारत में कुल कितने स्कूल हैं
सबसे पहले हम यह जान लेते हैं कि भारत में कुल कितने स्कूल हैं। सरकारी आंकड़ें यानि कि UDISE+ रिपोर्ट पर गौर करें, तो भारत में कुल 14 लाख 72000 स्कूल हैं। इनमें अधिकांश स्कूल सरकारी हैं, जिनका कुल प्रतिशत 69 है। वहीं, निजी स्कूलों का आंकड़ा 22.5 फीसदी है।
किस जिले को कहा जाता है स्कूलों की राजधानी
अब सवाल है कि कौन-सा जिला भारत में स्कूलों की राजधानी है, तो आपको बता दें कि उत्तराखंड राज्य के देहरादून को स्कूलों को राजधानी भी कहा जाता है।
क्यों कहा जाता है स्कूलों की राजधानी
देहरादून में कई ऐसे प्रमुख स्कूल हैं, जिनकी नींव अंग्रेजों द्वारा रखी गई थी। ऐसे में यहां कई बड़े और नामचीन स्कूल हैं, जो कि न सिर्फ राज्य, बल्कि पूरे देश में जाने जाते हैं। इसके अतिरिक्त, बोर्डिंग स्कूल की पंरपरा भी ब्रिटिश काल से शुरू हुई थी, जिससे देहरादून ने स्कूलों के क्षेत्र में एक अलग और विस्तृत पहचान बनाई है। इस वजह से इसे भारत में स्कूलों की राजधानी भी कहा जाता है।
ईटन ऑफ द ईस्ट नाम से मशहूर
देहरादून में स्कूलिंग परंपरा ब्रिटिश काल से चली आ रही है। ऐसे में उस समय इसे ईटन ऑफ द ईस्ट के नाम से भी जाना जाता था। दरअसल, ईटन कॉलेज लंदन का एक प्रमुख कॉलेज है। लंदन के पूर्व में शिक्षा का प्रमुख केंद्र होने की वजह से देहरादून को ईटन ऑफ द ईस्ट नाम से पुकारा जाता था।
कई प्रमुख संस्थान का गढ़ है देहरादून
देहरादून स्कूलों के साथ-साथ कई प्रमुख संस्थानों का गढ़ भी है। इसमें यहां की भारतीय मिलिट्री अकादमी(IMA), वन अनुसंधान संस्थान(FRI) और पेट्रोलियम यूनिवर्सिटी भी मौजूद है। इससे शिक्षा के क्षेत्र में देहरादून का महत्त्व और भी बढ़ जाता है।
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