भारत के अलग-अलग राज्यों में हमें अलग-अलग पावर हाउस देखने को मिलते हैं। ये न सिर्फ ऊर्जा का केंद्र हैं, बल्कि यह औद्योगिक विकास का आधार भी हैं। ये प्राकृतिक ऊर्जा को बिजली ऊर्जा में बदलने का काम करते हैं। यहां बिजली का उत्पादन होता है, जिसे आपूर्ति के हिसाब से उपभोक्ताओं तक पहुंचाया जाता है।
हाल ही में भारत के पहले पावर हाउस संग्रहालय को बनाने के लिए मंजूरी मिली है। खास बात यह है कि जिस जगह पर ऊर्जा संग्रहालय बनाया जाएगा, वहां पहले एक पावर हाउस हुआ करता था।
यह पावर हाउस कई वर्षों से बंद पड़ा था, जहां अब ऊर्जा का ज्ञान मिलेगा। यह देश का पहला और दुनिया का चौथा पावर हाउस म्यूजियम होगा। क्या आप जानते हैं कि भारत के किस राज्य में देश का पहला पावर म्यूजियम बनेगा। यदि नहीं, तो इस लेख के माध्यम से हम इस बारे में जानेंगे।
क्या होता है पावर हाउस
सबसे पहले हम यह जान लेते हैं कि पावर हाउस क्या होता है। पावर हाउस को तकीनीक रूप से पावर प्लांट भी कहा जाता है, जो कि बिजली उत्पादन करते हैं। ये प्राकृतिक ऊर्जा, जैसे-हवा, कोयला, पानी और परमाणु ऊर्जा से बिजली उत्पादन करते हैं। यहां उत्पादित होने वाली बिजली को बड़े-बड़े सब-स्टेशनों में भेजा जाता है, जिसे अंतिम उपभोक्ताओं तक पहुंचाया जाता है।
किस राज्य में बनेगा पहला पावर म्यूजियम
भारत का पहला पावर म्यूजियम बिहार के पटना शहर में बनेगा। हाल ही में मुख्यमंत्री नीतिश कुमार की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है। पावर हाउस म्यूजियम में ऊर्जा से जुड़ा ज्ञान मिल सकेगा, जो कि पर्यटन के साथ-साथ शोध के छात्रों के लिए भी महत्त्वपूर्ण होगा।
तीन एकड़ में बनेगा संग्रहालय
पटना में जिस जगह पर पावर म्यूजियम बनाया जाएगा, वह तीन एकड़ की जमीन है। इस जमीन पर पहले से एक पावर हाउस स्थापित है। इस पावर हाउस का निर्माण 1930 में किया गया था, लेकिन कुछ कारणों की वजह से इसका संचालन 1934 में बंद कर दिया गया। धीरे-धीरे यह पावर हाउस खंडहर में तब्दील हो गया था।
अगले दो से तीन वर्षों में बनकर होगा तैयार
भारत का पहला पावर म्यूजियम का निर्माण पूरा करने की योजना अगले 2 से 3 वर्षों में रखी गई है। इसके लिए बिहार स्टेट पावर होल्डिंग कॉर्पोरेशन लिमिटेड को जिम्मेदारी दी गई है। साथ ही, एक सिविल विंग का भी गठन किया गया है, जिससे इसका निर्माण सुचारू रूप से हो सके। आपको बता दें कि पावर म्यूजियम के निर्माण का प्रस्ताव 2019 में तैयार किया गया था, जिसे अब जाकर मंजूरी मिल गई है।
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