Bihar SIR 2025: बिहार में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) 2025 के तहत मतदाता सूची में नाम जोड़ने की प्रक्रिया को और आसान बनाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने आदेश दिया है कि अब आधार कार्ड को भी 12वें वैध पहचान दस्तावेज़ के रूप में स्वीकार किया जाएगा। इससे पहले केवल 11 डॉक्यूमेंट ही मान्य थे। हालांकि, आधार को केवल पहचान प्रमाण (Identity Proof) माना जाएगा, न कि नागरिकता का सबूत।
12 वैध पहचान डॉक्यूमेंट की लिस्ट
अब बिहार में मतदाता सूची (Electoral Roll) में नाम दर्ज कराने के लिए निम्न 12 दस्तावेज़ों में से कोई एक प्रस्तुत किया जा सकता है:
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जन्म प्रमाणपत्र (नगर निगम/पंचायत/सरकारी निकाय से)
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पासपोर्ट
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मैट्रिकुलेशन सर्टिफिकेट या मान्यता प्राप्त बोर्ड/विश्वविद्यालय से जारी प्रमाणपत्र
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सरकारी सेवा पहचान पत्र या पेंशन आदेश
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स्थायी निवास प्रमाणपत्र (जिलाधिकारी द्वारा जारी)
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वनाधिकार प्रमाणपत्र
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जाति प्रमाणपत्र (SC/ST/OBC)
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एनआरसी दस्तावेज़ (जहां लागू हो)
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परिवार रजिस्टर (स्थानीय निकाय द्वारा जारी)
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भूमि/मकान आवंटन प्रमाणपत्र (सरकारी कार्यालय से)
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1987 से पहले जारी सरकारी/पीएसयू पहचान पत्र
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आधार कार्ड (सुप्रीम कोर्ट आदेशानुसार नया शामिल)
आधार कार्ड का इस्तेमाल और वेरिफिकेशन
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आधार को एकल पहचान दस्तावेज़ के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
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इसकी प्रामाणिकता और सत्यता की जांच बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) या चुनाव आयोग के अधिकारी करेंगे।
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यह नागरिकता का प्रमाण नहीं है। यदि अधिकारियों को संदेह होगा तो वे अतिरिक्त दस्तावेज़ मांग सकते हैं।
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मतदाताओं पर असर
पहले जिन 34 लाख मतदाताओं का नाम दस्तावेज़ों की कमी के कारण हटाए जाने का खतरा था, अब वे आधार की मदद से सुरक्षित हो जाएंगे। जो मतदाता 2003 की मतदाता सूची में पहले से दर्ज हैं, उन्हें केवल उसका अंश (Extract) प्रस्तुत करना होगा।
साल 2003 के बाद नए आवेदकों को प्रिफिल्ड एन्यूमरेशन फॉर्म + एक वैध दस्तावेज़ देना होगा (चाहें तो आधार भी दे सकते हैं)।
आधार अब पहचान पत्र के रूप में मान्य
आधार अब पहचान पत्र के रूप में मान्य है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे नागरिकता प्रमाण नहीं माना है। चुनाव आयोग को सुप्रीम कोर्ट ने तुरंत इस संबंध में निर्देश जारी करने का आदेश दिया है।
यह कदम लाखों मतदाताओं को दस्तावेज़ संबंधी दिक्कतों से राहत देगा और मतदाता समावेशन (Voter Inclusion) को बढ़ावा देगा।
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