गुरुवार को संसद में दी गई जानकारी के अनुसार, सरकार ने वित्त वर्ष 25 तक हाईवे एसेट मोनेटाइजेशन के कई तरीकों से 1,42,758 करोड़ रुपये जुटाए हैं।
लोकसभा में एक लिखित जवाब में, केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने बताया कि इस वित्त वर्ष में एसेट मोनेटाइजेशन से 30,000 करोड़ रुपये मिलने की उम्मीद है।
हाईवे एसेट मोनेटाइजेशन के तरीके
हाईवे संपत्तियों का मोनेटाइजेशन मुख्य रूप से तीन तरीकों से किया जाता है:
स्पेशल पर्पज व्हीकल (SPVs) / सिक्योरिटाइजेशन– इसमें एक्सप्रेसवे (जैसे दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे) से होने वाली टोल आय को SPVs के जरिए बॉन्ड में बदला जाता है। इससे NHAI को लंबी अवधि के लिए पूंजी जुटाने में मदद मिलती है।
इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट (InvIT)– NHAI द्वारा स्थापित नेशनल हाईवे इंफ्रा ट्रस्ट (NHIT), बॉन्ड जारी करके और SEBI प्लेटफॉर्म पर यूनिट बेचकर पैसा जुटाता है। इसका मकसद अधिकतम मूल्यांकन हासिल करना है।
टोल ऑपरेट एंड ट्रांसफर (ToT)– इसमें सड़क के हिस्सों की नीलामी की जाती है। जो आरक्षित मूल्य (reserve price) से ऊपर सबसे ऊंची बोली लगाता है, उसे 15–30 साल के लिए कंसेशन मिलता है।
सड़क दुर्घटना पीड़ितों का कैशलेस इलाज
सड़क दुर्घटना पीड़ितों के लिए कैशलेस इलाज योजना, 2025 को मार्च 2024 में छह राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में शुरू किया गया था।
इसके तहत, प्रत्येक दुर्घटना पीड़ित को स्वीकृत अस्पतालों में इलाज के लिए 1.5 लाख रुपये तक दिए जाते हैं। यह इलाज अधिकतम सात दिनों तक के लिए होता है।
31 जुलाई, 2025 तक इस योजना के तहत लगभग 4,971 दुर्घटना पीड़ितों का इलाज किया जा चुका है।
वाहन स्क्रैपिंग और Registration अपडेट
12 अगस्त, 2025 तक, रजिस्टर्ड व्हीकल स्क्रैपिंग फैसिलिटीज (RVSFs) में 2,76,990 वाहनों को स्क्रैप किया जा चुका है।
पूरे भारत में वाहनों के लिए कुल 20,16,32,06 हाई सिक्योरिटी Registration प्लेट्स (HSRPs) जारी की जा चुकी हैं।
हाईवे एसेट मोनेटाइजेशन, सड़क सुरक्षा और वाहन प्रबंधन में सरकार के प्रयास बेहतर बुनियादी ढांचे और टिकाऊ विकास की दिशा में एक स्पष्ट कदम को दर्शाते हैं।
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