Rajasthan New Fees Act: राजस्थान में नहीं थम रही निजी स्कूलों की मनमानी, बेजान फीस एक्ट कानून पर क्यों चुप है शिक्षा विभाग?

Rajasthan New Fees Act: राजस्थान के अभिभावकों के लिए अपने बच्चों को अच्छे शिक्षा प्रदान करवाना बेहद ही महंगा पड़ रहा है। बता दें कि स्कूलों की बढ़ती मनमानियां माता-पिता का हौसला तोड़ती जा रही है और गौरतलब यह है कि वहां की प्रशासन इस बात से पुरी तरह से अंजान है। अभिभावकों की सुनवाई पर सभी ने अपने आंख-कान बंद कर लिए हैं। आइए जानते हैं क्या है राजस्थान के अभिभावकों का हाल-

Mahima Sharan
Aug 21, 2025, 13:52 IST
Rajasthan Private School Fees Act
Rajasthan Private School Fees Act

Rajasthan New Fees Act: दिल्ली में लागू हुए नए फीस एक्ट ने तो अभिभावकों को स्कूलों मनमानी फीस वृद्धि की समस्या से काफी राहत पहुंचाई है, लेकिन राजस्थान के अभिभावकों का दर्द अभी भी वैसा ही है। आठ साल पहले राज्य में फीस एक्ट को आ गई मगर आज तक इसका पालन नहीं किया गया है, नतीजा हर नए सत्र में अभिभावकों की जेब ढीली होती जा रही है। राज्य के निजी स्कूल मनमर्जी से फीस में बढ़ोतरी करते जा रहे हैं। दरअसल, दिल्ली स्कूल शिक्षा (Transparency in fee setting and regulation) अधिनियम 2025 के लागू होने के बाद निजी स्कूलों की मनमानी फीस वृद्धि पर रोक लग गई है

राजस्थान की राजधानी जयपुर में 50 से ज्यादा बड़े और 50 हजार से ज्यादा छोटे प्राइवेट स्कूल है, जो हर साल नए सेशन के साथ फीस में इजाफा करती है, जिसके बच्चों के माता-पिता को एक बार में मोटी रकम भरनी पड़ती है। यहां फीस एक्ट होने के बावजूद अभिभावकों की कोई सुनवाई नहीं हो रही है और न ही बढ़ती मनमानी के खिलाफ स्कूलों पर कोई सख्ती बरती जा रही है, जिससे इन निजी स्कूलों का हौसला बढ़ते जा रहा है।

ये हैं फीस एक्ट के प्रावधान, जिसपर नहीं हुई कोई कार्यवाही

1- नया सत्र शुरू होने के 30 दिन के अंदर स्कूलों को पेरेंट्स-टीचर्स एसोसिएशन (PTA) रखना करना अनिवार्य है।

2- हर माता-पिता और शिक्षक इसका सदस्य होता है।

3- 15 अगस्त से पहले PTA के सदस्यों में से स्कूल लेवल फीस कमेटी (SLFC) का चुनाव लॉटरी से किया जाना चाहिए।

4- इस कमेटी में 10 सदस्य होते हैं, जिसमें पांच स्कूल से और पांच अभिभावक शामिल होते हैं।

5- कमेटी द्वारा तय की गई फीस 3 सालों तक लागू रहती है।

6- तय हुए फीस की सूचना जिला शिक्षा अधिकारी को भेजी जाती है।

7- संभाग और राज्य स्तर पर भी फीस निर्धारण कमेटियां गठित होनी चाहिए।

ये यह नियम केवल कागज के पन्नों तक ही सीमित रह हई है, क्योंकि जमीनी हकीकत तो यह है कि कोई भी प्राइवेट स्कूल फीस स्ट्रक्चर में बदलाव करने से पहले पीटीए का गठन नहीं करती है और न ही कमेटियों द्वारा  जिला शिक्षा अधिकारी को सूचना दी जाती है। बता दें कि जयपुर में मात्र 10 फीसदी निजी स्कूलों की कमेटियों की सूचना ही विभागों के पास दर्ज है।

Related Stories

बिना कमेटी गठित किए हर साल बढ़ रहे फीस

सत्र शुरू होते ही हजारों अभिभावक निजी स्कूलों की मनमानी फीस बढ़ोतरी की शिकायत करते हैं, लेकिन उनकी शिकायत पर सुनवाई नहीं होती। शिक्षा विभाग स्कूलों को नोटिस तो भेजता है, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाता। पिछले सत्र में संभागीय फीस नियामक समिति ने एक निजी स्कूल के खिलाफ कार्रवाई कर फीस बढ़ोतरी को नियम विरुद्ध माना था। फीस एक्ट 2017 के तहत यह राजस्थान की पहली कार्रवाई थी। लेकिन उसके बाद से विभाग ने न तो किसी अन्य स्कूल के खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई की और न ही समितियों की जांच की। प्रदेश भर में 38 हजार निजी स्कूल संचालित हैं, जिनमें से अकेले जयपुर जिले में ही पांच हजार से ज्यादा स्कूल हैं। ज्यादातर स्कूल बिना समिति बनाए ही हर साल फीस बढ़ा रहे हैं।


Mahima Sharan
Mahima Sharan

Sub Editor

Mahima Sharan, working as a sub-editor at Jagran Josh, has graduated with a Bachelor of Journalism and Mass Communication (BJMC). She has more than 3 years of experience working in electronic and digital media. She writes on education, current affairs, and general knowledge. She has previously worked with 'Haribhoomi' and 'Network 10' as a content writer. She can be reached at mahima.sharan@jagrannewmedia.com.

... Read More
Get the latest Education News and updates on Indian School Boards, Colleges , University, Government Jobs , Results and Career Counseling, Also Download Jagran Josh GK & Current Affairs App.

Trending

Latest Education News