भारत के उत्तर में जब भी प्रमुख राज्यों की बात होती है, तो इसमें उत्तर प्रदेश राज्य का नाम भी प्रमुखता से लिया जाता है। भारत का यह राज्य अपनी विविधता और सांस्कृतिक विरासत के साथ-साथ समृद्ध इतिहास के लिए विश्व विख्यात है। इसमें यहां के बाजारों का भी अहम योगदान है, जो कि कई सदियों से बाजार की संस्कृति से जुड़े होने के साथ यूपी की मूल जड़ों से जुड़े हुए हैं।
साथ ही, ये बाजार राज्य की अर्थव्यवस्था को भी भी रफ्तार देने का काम कर रहे हैं। इस कड़ी में राज्य में एक बाजार ऐसा भी है, जिसे ‘उत्तर प्रदेश का कनॉट प्लेस’ भी कहा जाता है। कौन-सा है यह बाजार, जानने के लिए यह लेख पढ़ें।
उत्तर प्रदेश का परिचय
सबसे पहले हम उत्तर प्रदेश के बारे में जान लेते हैं। आपको बता दें कि राज्य का गठन 24 जनवरी, 1950 को किया गया था। इससे पहले इसे संयुक्त प्रांत नाम से जाना जाता था। वहीं, इस नाम से पहले इसकी पहचान आगरा एवं अवध संयुक्त प्रांत और उत्तर-पश्चिम प्रांत के रूप में थी। प्रदेश में कुल 351 तहसील हैं, जो कि 75 जिलों में आती हैं।
ये सभी जिले कुल 18 मंडलों का हिस्सा हैं। वहीं, ये सभी मंडल कुल चार संभागों का हिस्सा हैं, जिनमें पूर्वांचल, मध्यांचल, पश्चिमांचल और बुंदेलखंड शामिल है। कुछ किताबों में हमें रोहलिखंड और बघेलखंड का भी जिक्र मिलता है।
किसे कहा जाता है ‘उत्तर प्रदेश का कनॉट प्लेस’
अब सवाल है कि ‘उत्तर प्रदेश का कनॉट प्लेस’ किस बाजार को कहा जाता है। आपको बता दें कि लखनऊ शहर के हजरतगंज बाजार को ‘उत्तर प्रदेश का कनॉट प्लेस’ भी कहा जाता है।
क्यों कहा जाता है ‘उत्तर प्रदेश का कनॉट प्लेस’
दिल्ली का कनॉट प्लेस ब्रिटिश द्वारा बसाया गया बाजार था। इसे विशेष रूप से घूमने-फिरने, मनोरंजन और खरीददारी के लिए बसाया गया था। ऐसे में यह वित्तीय और व्यावसायिक रूप से प्रमुख केंद्र था। वहीं, हजरतगंज बाजार लखनऊ के पॉश इलाकों में आता है, जहां इमारतों में औपनिवेशिक काल की झलक देखने को मिलती है।
यहां दिल्ली के कनॉट प्लेस की तरह चौड़ी सड़कें, मनोरंजन के लिए सिनेमाघर, रेस्तरां, कैफे और शॉपिंग की लिए महंगे ब्रांड्स की दुकानें हैं। साथ ही यहां जनपथ मार्केट भी है। यही वजह है कि इसे दिल्ली की तर्ज पर ‘उत्तर प्रदेश का कनॉट प्लेस’ कहा जाता है। यह बाजार पूरे यूपी के प्रमुख बाजारों में शामिल है।
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