भारत में बैंकिंग का एक लंबा और दिलचस्प इतिहास है, जो कई सदियों पुराना है। 1935 में भारतीय रिजर्व बैंक की स्थापना से बहुत पहले, निजी और प्रेसीडेंसी बैंक बिजनेस, कॉमर्शियल और क्रेडिट के प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे थे। ये शुरुआती बैंक सिर्फ फाइनेंशियल संस्थान नहीं थे, बल्कि औपनिवेशिक युग के दौरान भारत के बढ़ते आर्थिक महत्व के प्रतीक भी थे। इनमें से कुछ बैंकों की स्थापना मद्रास (अब चेन्नई), कलकत्ता (अब कोलकाता) और बॉम्बे (अब मुंबई) जैसे बंदरगाह शहरों में व्यापार को समर्थन देने के लिए की गई थी। वहीं, कुछ अन्य बैंकों को ब्रिटिश भारत की अलग-अलग प्रेसीडेंसी में कारोबार को आसान बनाने के लिए शुरू किया गया था। हालांकि इनमें से कई शुरुआती बैंक अब अपने मूल रूप में मौजूद नहीं हैं, लेकिन उन्होंने ही आधुनिक भारतीय बैंकिंग की नींव रखी थी।
जब हम भारत के सबसे पुराने बैंक की बात करते हैं, तो इसका जवाब है 'द मद्रास बैंक', जिसकी स्थापना 1683 में हुई थी। हालांकि, यह बैंक आज मौजूद नहीं है, लेकिन यह भारत में स्थापित होने वाला पहला बैंक था। समय के साथ, कई दूसरे बैंक भी अस्तित्व में आए। इनमें से कुछ दशकों तक चले, जबकि कुछ बहुत कम समय तक ही चल पाए। इनमें से कई बैंक बाद में बड़े संस्थानों में मिल गए। इसी से भारतीय स्टेट बैंक (SBI) का रास्ता तैयार हुआ, जो आज देश का सबसे पुराना और मौजूदा बैंक है।
भारत का सबसे पुराना बैंक: द मद्रास बैंक (1683)
भारत के सबसे पुराने बैंक का खिताब 'द मद्रास बैंक' को जाता है। इसकी स्थापना 1683 में मद्रास प्रेसीडेंसी में हुई थी, जिसे आज चेन्नई के नाम से जाना जाता है। इसे ब्रिटिश व्यापारियों और ईस्ट इंडिया कंपनी की जरूरतों को पूरा करने के लिए बनाया गया था। उस समय भारत अंतरराष्ट्रीय व्यापार का एक बड़ा केंद्र था। हालांकि यह बैंक आज मौजूद नहीं है, क्योंकि 1843 में इसका विलय बैंक ऑफ मद्रास में कर दिया गया था। बाद में यह इंपीरियल बैंक ऑफ इंडिया का हिस्सा बन गया और इसी विलय के साथ भारत में संगठित बैंकिंग की शुरुआत हुई। 'द मद्रास बैंक' की विरासत आज भी कायम है, क्योंकि इंपीरियल बैंक ही आगे चलकर भारतीय स्टेट बैंक बना, जो आज देश का सबसे बड़ा सार्वजनिक क्षेत्र का बैंक है।
भारत के 10 सबसे पुराने बैंक कौन से हैं?
बीते सालों में, अलग-अलग प्रेसीडेंसी और क्षेत्रों में कई बैंक स्थापित किए गए। इनमें से कुछ का बड़े संस्थानों में विलय हो गया, जबकि कुछ बैंक भारत में आधुनिक बैंकिंग की नींव का हिस्सा बने। यहां देश के 10 सबसे पुराने बैंकों की सूची दी गई है:
रैंक | बैंक का नाम | स्थापना का वर्ष | हालत |
1 | द मद्रास बैंक | 1683 | बैंक ऑफ मद्रास में विलय हुआ और बाद में SBI का हिस्सा बना |
2 | बैंक ऑफ बॉम्बे | 1720 | 1770 में बंद हो गया |
3 | बैंक ऑफ हिंदुस्तान | 1770 | 1832 में बंद हो गया |
4 | जनरल बैंक ऑफ बंगाल एंड बिहार | 1773 | 1775 में बंद हो गया |
5 | बंगाल बैंक | 1784 | 1791 में बंद हो गया |
6 | जनरल बैंक ऑफ इंडिया | 1786 | 1791 में बंद हो गया |
7 | कर्नाटिक बैंक | 1788 | बैंक ऑफ मद्रास में विलय हुआ और बाद में SBI का हिस्सा बना |
8 | ब्रिटिश बैंक ऑफ मद्रास | 1795 | बैंक ऑफ मद्रास में विलय हुआ और बाद में SBI का हिस्सा बना |
9 | द एशियाटिक बैंक | 1804 | बैंक ऑफ मद्रास में विलय हुआ और बाद में SBI का हिस्सा बना |
10 | बैंक ऑफ कलकत्ता (बाद में बैंक ऑफ बंगाल) | 1806 | इंपीरियल बैंक में विलय हुआ, जो अब SBI है |
निष्कर्ष के तौर पर, भारत के सबसे पुराने बैंकों की कहानी देश के आर्थिक इतिहास और औपनिवेशिक अतीत से गहराई से जुड़ी हुई है। हालांकि 'द मद्रास बैंक' (1683) को भारत में स्थापित पहला बैंक होने का गौरव प्राप्त है, लेकिन भारतीय स्टेट बैंक (जिसकी शुरुआत 1806 में बैंक ऑफ कलकत्ता के रूप में हुई) आज भी काम करने वाला सबसे पुराना बैंक है। इन संस्थानों ने न केवल व्यापार और क्रेडिट का प्रबंधन किया, बल्कि भारत में आधुनिक बैंकिंग की नींव भी रखी। इन शुरुआती बैंकों का आज के SBI में बदलना यह दिखाता है कि कैसे इतिहास, विलय और विरासत ने भारतीय वित्तीय प्रणाली को वह रूप दिया है, जिसे हम आज जानते हैं।
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