इतिहास का वह युद्ध, जिससे बदल गया था महान सम्राट अशोक का जीवन, जानें

Sep 14, 2025, 12:46 IST

महान सम्राट अशोक, जो मौर्य वंश के थे, उन्हें न केवल उनकी जीतों के लिए बल्कि कलिंग युद्ध के बाद शांति अपनाने के लिए भी याद किया जाता है। जानिए उन्हें “महान” क्यों कहा जाता है, उनकी क्या उपलब्धियां थीं, जैसे बौद्ध धर्म का प्रचार, लोगों की भलाई के लिए सुधार और धार्मिक सहनशीलता और भारत के इतिहास में उनकी क्या विरासत है।

महान सम्राट अशोक
महान सम्राट अशोक

भारतीय इतिहास में कई राजाओं को उनकी ताकत और पड़ोसी देशों पर जीत के लिए याद किया जाता है। लेकिन, एक ऐसे राजा भी थे, जिन्हें सिर्फ उनके युद्धों और जीतों के लिए नहीं, बल्कि उनके व्यक्तिगत बदलाव और पूरे भारत के लिए शांति का प्रतीक बनने के लिए याद किया जाता है। हम बात कर रहे हैं महान अशोक की, जो प्राचीन भारत के सबसे प्रसिद्ध शासकों में से एक थे।

महान अशोक कौन थे

अशोक प्रसिद्ध मौर्य वंश के तीसरे शासक थे। वह चंद्रगुप्त मौर्य के पोते और बिंदुसार के बेटे थे। जब अशोक लगभग 268 ईसा पूर्व में राजा बने, तो उन्हें विरासत में भारत का एक बहुत बड़ा हिस्सा मिला। शुरुआत में, उन्हें एक मजबूत और निडर विजेता के रूप में जाना जाता था, जो अपने साम्राज्य का विस्तार करना चाहते थे। लेकिन, एक खास युद्ध के बाद, उन्होंने लड़ाई का रास्ता छोड़ दिया और शांति को चुना।

उन्हें “महान” क्यों कहा जाता है?

अशोक को “महान” उनके जीवन में आए एक बड़े बदलाव के कारण कहा जाता है। कलिंग युद्ध जीतने के बाद उन्होंने देखा कि लड़ाई की वजह से कितना दुख और मौतें हुई थीं। यह देखकर उनका दिल इतना पिघल गया कि उन्होंने फिर कभी ऐसे युद्ध न लड़ने का फैसला किया। उन्होंने युद्ध का रास्ता छोड़कर बौद्ध धर्म अपना लिया और शांति, दया और धर्म (सही आचरण) के रास्ते पर चलने लगे।

कई शासकों को केवल उनकी जीत या फैसलों के लिए याद किया जाता है। लेकिन, अशोक को युद्ध के बाद शांति चुनने के लिए याद किया जाता है। यही बात उन्हें सचमुच महान और दूसरे राजाओं से अलग बनाती है।

उनकी उपलब्धियां क्या थीं?

महान अशोक ने कई ऐसे फैसले लिए, जिन्होंने उन्हें अपने समय के दूसरे शासकों से अलग बनाया। उनकी उपलब्धियां नीचे दी गई हैं:

-बौद्ध धर्म का प्रसार: अशोक ने भारतीय उपमहाद्वीप और श्रीलंका जैसे देशों समेत कई जगहों पर बौद्ध शिक्षकों और भिक्षुओं को भेजा। इससे पूरे एशिया में बौद्ध धर्म को फैलने में मदद मिली।

-अशोक के शिलालेख: उन्होंने अपने विचारों और नियमों को चट्टानों और स्तंभों पर खुदवाया। इन शिलालेखों में दयालु होने, सभी धर्मों का सम्मान करने, जानवरों की देखभाल करने और एक अच्छा जीवन जीने की बातें लिखी थीं।

-लोगों की भलाई के लिए काम: उन्होंने इंसानों और जानवरों के लिए अस्पताल बनवाए, पेड़ लगवाए, कुएं खुदवाए और यात्रियों के लिए विश्राम घर बनवाए।

-धार्मिक सहनशीलता: हालांकि, वे बौद्ध धर्म का पालन करते थे, लेकिन वे दूसरे सभी धर्मों का भी सम्मान करते थे।

अशोक को एक ऐसे शासक के रूप में याद किया जाता है, जिन्होंने सिर्फ एक राजा की तरह नहीं, बल्कि एक मार्गदर्शक और शिक्षक की तरह अपनी प्रजा की देखभाल की।

अशोक के बाद कौन आया?

लगभग 232 ईसा पूर्व में अशोक की मृत्यु के बाद मौर्य साम्राज्य धीरे-धीरे कमजोर हो गया। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि उनके उत्तराधिकारी उनकी तरह मजबूती से शासन नहीं कर सके। लेकिन, अशोक के विचार हमेशा जीवित रहे। उनके प्रयासों ने बौद्ध धर्म को एक विश्व धर्म बनाया और आज भी उनके शांति और दया के मूल्यों की प्रशंसा की जाती है।

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Kishan Kumar
Kishan Kumar

Senior content writer

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