दिल्ली का इतिहास उठाकर देखें, तो हमें दिल्ली के कुल 14 दरवाजें देखने को मिलते हैं। इन दरवाजों का निर्माण मुगल सम्राट शाहजहां द्वारा तब किया गया था, जब वह दिल्ली को बसा रहे थे। उन्होंने चाहरदिवारी के भीतर शाहजहांनाबाद यानि कि पुरानी दिल्ली को बसाया था। आज लोग दिल्ली के दिल्ली गेट, तुर्कमान गेट, लाहौरी गेट, कश्मीरी गेट व अन्य गेट को जानते हैं। हालांकि, क्या आप दिल्ली के ऐसे दरवाजे को जानते हैं, जिसे लाल दरवाजा भी कहा जाता है। कभी यह दरवाजा दिल्ली का प्रवेश द्वार हुआ करता था। क्या है इसका इतिहास, जानने के लिए यह लेख पढ़ें।
इस नाम से जाना जाता था लाल दरवाजा
दिल्ली का लाल दरवाजा कभी काबुली दरवाजा नाम से जाना जाता था, जो कि दिल्ली का काबुल व अन्य पश्चिमी देशों से जोड़ने वाले प्रमुख रास्तों पर था। ऐसे में इस दरवाजे के पास कभी सौदागर और यात्री रूका करते थे। क्योंकि, दरवाजे के पास कभी सराय भी हुआ करती थी।
किसने करवाया था लाल दरवाजे का निर्माण
लाल दरवाजे का निर्माण शेरशाह सूरी ने करवाया था। सूरी ने भारत पर 1540 से 1545 तक शासन किया। इस दौरान उन्होंने इस दरवाजे का निर्माण करवाया था। यह दरवाजा सूरी द्वारा स्थापित दीनपनाह शहर का हिस्सा हुआ करता था।
कहां स्थित है लाल दरवाजा
दिल्ली का यह लाल दरवाजा पुराना किला के सामने स्थित है। आज भी इसके अवशेष देखे जा सकते हैं। क्योंकि, कुछ समय पहले दिल्ली की बारिश में दरवाजे के बड़े हिस्से को अधिक नुकसान पहुंचा था। लेकिन, कभी इस दरवाजे की अधिक भव्यता था। इस दरवाजे का निर्माण अफगान शैली में किया गया था। ऐसा कहा जाता है कि अकबर द्वारा भी इस शैली को अपनाया गया था।
गुम है दिल्ली का लाल दरवाजा
आज दिल्ली का लाल दरवाजा गुमनामी का दंश झेल रहा है। क्योंकि, पुराना किला आने वाले लोग दिल्ली के इस दरवाजे से अंजान हैं। लोग यहां आकर इसे बिना देखे ही चले जाते हैं। वहीं, कुछ लोग इसे सिर्फ एक पुरानी इमारत का हिस्सा मानते हैं, जबकि इसके इतिहास के बारे में बहुत ही कम लोगों को पता है।
शेरगढ़ किले से दिखता था दरवाजा
आपको बता दें कि जब शेरशाह सूरी ने हुमायूं को हराने के बाद पुराना किला पर अपना अधिकार जमा लिया था, तब उन्होंने इसे शेरगढ़ किला नाम दिया था। ऐसे में इस किले के सामने ही उन्होंने यह दरवाजा बनवाया था, जो कि उस समय की दिल्ली का प्रवेश द्वार था। इसे आज भी किले के ठीक सामने देखा जा सकता है।
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