केबुल लामजाओ नेशनल पार्क भारत के मणिपुर के बिष्णुपुर जिले में स्थित है। इसे दुनिया भर में एकमात्र तैरते हुए नेशनल पार्क के रूप में जाना जाता है। यह अनोखा पार्क लगभग 40 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। यह पार्क पूर्वोत्तर भारत की सबसे बड़ी मीठे पानी की झील, लोकटक झील पर स्थित है। यह अपनी तैरती हुई वनस्पति के लिए प्रसिद्ध है, जिसे 'फुुमडी' कहा जाता है। ये फुुमडी एक ऐसा अनोखा इकोसिस्टम बनाती हैं, जो दुनिया में कहीं और नहीं है।
दुनिया का एकमात्र तैरता हुआ नेशनल पार्क कौन-सा है?
केबुल लामजाओ नेशनल पार्क का तैरता हुआ इकोसिस्टम फुुमडी से बना है। फुुमडी वनस्पति, जैविक पदार्थों और मिट्टी के कणों का एक समूह होती है, जो लोकटक झील की सतह पर तैरती रहती है। यह तैरता हुआ भूदृश्य कई तरह के पेड़-पौधों और जीव-जंतुओं को रहने की प्राकृतिक जगह देता है। इसी वजह से यह पार्क पर्यावरण की दृष्टि से बहुत महत्त्वपूर्ण और देखने में बहुत सुंदर है।
केबुल लामजाओ नेशनल पार्क अनोखा क्यों है?
लुप्तप्राय संगाई हिरण का घर
केबुल लामजाओ नेशनल पार्क संगाई हिरण (Cervus eldi eldi) का आखिरी प्राकृतिक निवास स्थान है। इस हिरण को ब्रो-एंटलर्ड डियर के नाम से भी जाना जाता है। यह लुप्तप्राय प्रजाति तैरती हुई फुुमडी पर अपनी सुंदर चाल के लिए मशहूर है। साथ ही, यह मणिपुर के लोगों के लिए बहुत बड़ा सांस्कृतिक महत्त्व रखती है।
जैव विविधता और प्राकृतिक सुंदरता
केबुल लामजाओ नेशनल पार्क में कई तरह के जंगली जीव रहते हैं। इनमें हॉग हिरण, ऊदबिलाव, प्रवासी पक्षी और कई जलीय प्रजातियां शामिल हैं। पार्क में जमीन और पानी, दोनों तरह के इकोसिस्टम का मेल है, जो इसे बहुत सुंदर बनाता है। यह जगह नेचर फोटोग्राफरों, वन्यजीव प्रेमियों और शोधकर्ताओं के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं है।
संरक्षण के प्रयास
लुप्तप्राय संगाई हिरण की रक्षा के लिए केबुल लामजाओ को 1966 में एक वन्यजीव अभयारण्य घोषित किया गया था। बाद में 1977 में इसे एक नेशनल पार्क बना दिया गया। यह केबुल लामजाओ संरक्षण क्षेत्र का एक हिस्सा है। इसे यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों की संभावित सूची में भी शामिल किया गया है, जो इसके वैश्विक पर्यावरणीय महत्त्व को दिखाता है। संरक्षण के लिए की जाने वाली पहलों में निवास स्थान को बचाना, जैव विविधता की निगरानी करना और सस्टेनेबल टूरिज्म को बढ़ावा देना शामिल है।
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