रूसी ग्रैंडमास्टर व्लादिमीर क्रामनिक, जो 2000 से 2007 तक विश्व शतरंज चैंपियन रहे, हाल के वर्षों में अपने एंटी-चीटिंग अभियान को लेकर विवादों में घिर गए हैं। पेशेवर शतरंज से संन्यास लेने के बाद उन्होंने दावा किया कि ऑनलाइन शतरंज में व्यापक पैमाने पर चीटिंग हो रही है। उन्होंने कई खिलाड़ियों पर सार्वजनिक रूप से आरोप लगाए, जिनमें अमेरिकी ग्रैंडमास्टर डैनियल नारोडित्स्की भी शामिल थे। हालांकि, उनके आरोपों का कोई ठोस सबूत कभी सामने नहीं आया।
नारोडित्स्की की मौत और बढ़ा विवाद
अक्टूबर 2025 में डैनियल नारोडित्स्की की मौत के बाद यह मामला और गंभीर हो गया। माना जा रहा है कि क्रामनिक के लगातार लगाए गए आरोपों ने उन पर मानसिक दबाव डाला। शतरंज समुदाय ने क्रामनिक की इस आक्रामक मुहिम की निंदा की, क्योंकि इससे खिलाड़ियों के मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर पड़ा।
अब अंतरराष्ट्रीय शतरंज महासंघ (FIDE) ने क्रामनिक के आचरण की जांच शुरू कर दी है, जो उनकी Ethics and Disciplinary Commission के अधीन है।
विश्वनाथन आनंद की प्रतिक्रिया: “बिना सबूत के आरोप गलत”
भारत के शतरंज महानायक और FIDE के डिप्टी प्रेसिडेंट विश्वनाथन आनंद ने मंगलवार को क्रामनिक की तीखी आलोचना की। उन्होंने कहा,
“ईमानदारी से कहें तो, हममें से ज्यादातर लोग क्रामनिक के इस व्यवहार से बहुत निराश हैं। हम इस मामले में उचित कदम उठाएंगे। बिना सबूत के आरोप लगाने का कोई कारण नहीं है।”
आनंद ने स्पष्ट किया कि चीटिंग की समस्या असली है, लेकिन इसे जिम्मेदारी के साथ निपटाना चाहिए, सार्वजनिक आरोपों और सोशल मीडिया अभियानों के ज़रिए नहीं।
शतरंज जगत की क्या है प्रतिक्रिया
क्रामनिक की इस मुहिम की विश्व शतरंज समुदाय में कड़ी आलोचना हुई है। शीर्ष खिलाड़ियों जैसे मैग्नस कार्लसन और निहाल सारिन ने भी कहा कि ऐसी सार्वजनिक टिप्पणियाँ खिलाड़ियों के मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाती हैं।
यहाँ तक कि Chess.com ने क्रामनिक का ब्लॉग भी बंद कर दिया, जो इस विवाद की गंभीरता को दिखाता है। कई विशेषज्ञों का मानना है कि क्रामनिक के बयानों ने शतरंज जगत में भय और अविश्वास का माहौल बना दिया है।
जिम्मेदारी और संतुलन की ज़रूरत
यह पूरा विवाद इस बात को उजागर करता है कि खेल जगत में प्रभावशाली हस्तियों की जिम्मेदारी कितनी बड़ी होती है। चीटिंग जैसे मुद्दों से निपटना जरूरी है, लेकिन बिना सबूत के आरोप न केवल किसी खिलाड़ी की प्रतिष्ठा बल्कि उसके जीवन पर भी गहरा असर डाल सकते हैं।
आनंद का रुख यह संदेश देता है कि शतरंज जैसे मानसिक खेल में न्याय, प्रमाण और संवेदनशीलता सबसे महत्वपूर्ण हैं, न कि पब्लिक ट्रायल या सोशल मीडिया अभियानों के ज़रिए दोष तय करना।
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